15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस विशेष पोस्ट ....
मुझे फांसी पे लटका दो
पत्रकार एवं साहित्यकार बाबा स्व. श्री संपतराव धरणीधर एक स्वतंत्रता सेनानी के रूप में भी जाने जाते रहे .
यहाँ हम उनके इसी रूप को याद कर रहे है . पेश है यह कविता ---
मुझे फांसी पे लटका दो .
मैं ईमान से कहता हूँ कि मैं देशद्रोही हूँ
मुझे फांसी पे लटका दो
कि मैं भी एक बागी हूँ .
ये कैसा बाग़ है जिसमे गुलों पर सांप लहराते
ये कैसा राग है जिसमें सुरों से ताल घबराते
तुम्हारी ये बज्म कैसी जहाँ गुलज़ार हैं सपने
तुम्हारे दीप ये कैसे , लगे जो शाम से बुझने
ऐसे अधजले दीपक जलाना भी मनाही है
तो मैं ईमान से कहता हूँ कि
मैं देशद्रोही हूँ .
मुझे फांसी पे लटका दो
कि मैं भी एक बागी हूँ .
( पत्रकार एवं साहित्यकार बाबा स्व. श्री संपतराव धरणीधर एक स्वतंत्रता सेनानी के रूप में भी जाने जाते रहे . यहाँ हम उनके इसी रूप को याद कर रहे है . पेश है यह कविता --- मुझे फांसी पे लटका दो . १९४६ मैं नागपुर केंदीय जेल में जेलर एवं जेल कर्मचारियों को तंगाने के लिए यह रचना बाबा एवं उनके ७०० साथी जोर -जोर से गाते थे . )
बाबा स्व. श्री संपतराव धरणीधर
जन्म १० मार्च , १९२४ और निधन १५ मई , २००२
रचनाए- गजल संग्रह " किस्त किस्त जिंदगी "
कविता और लोकगीतों का संग्रह " महुआ केशर "
कविता संग्रह - नहीं है मरण पर्व